याद आई है मुझे
वस्लो-फुर्कत की हर रात याद आई है मुझे
याद किया है तो हर बात याद आई है मुझे
ज़रा ज़रा सी बात पे रात दिन उदास रहना
मेरी दिल्लगी अजब मुकाम पे लाई है मुझे
दिल खोल के हर बात मैं कह रहा हूँ उनसे
आज क़यामत सी ही मयकशी छाई है मुझे
मैं जुदा भी हो जाऊं इस ज़िन्दगी से मगर
कोई शय मोहब्ब्त से ना छीन पाई है मुझे
झोंके तेज़ हवाओं के’मिलन’ तो ठीक लगें
कभी नफरतों की आंधियाँ ना भाई है मुझे !!
मिलन “मोनी”