यादों के समंदर भी
यादों के समंदर भी कभी रीते रह जाते हैं
नदिया कभी बिन सागर मिले रह जाते हैं
कह पाते कहानी बने बिन-जुबानी अपनी
रवानी-रवानी जवानी-कहानी रह जाते हैं।।
मधुप बैरागी
यादों के समंदर भी कभी रीते रह जाते हैं
नदिया कभी बिन सागर मिले रह जाते हैं
कह पाते कहानी बने बिन-जुबानी अपनी
रवानी-रवानी जवानी-कहानी रह जाते हैं।।
मधुप बैरागी