यादों के बरसात को छोड़,
यादों के बरसात को छोड़,
तुमने मुझे,
गमों के मौसम में धकेल दिया।
मोहब्बत कि सज़ा दी तुने मुझे,
बेवफा ऐसा क्यों सितम किया?
अपने दर्द के अफसाना को,
खुद को भी सुना ना सकती मैं।
लड़ झगड़ के भी दर्द,
कम ना कर सकती मैं।
ना जाने गया तु कहा,
कौनसा देश में,
बेवफा,तु बेवफाई करके मुझसे,
मोहब्बत का दर्द दे गया।
ंं नज़रों का धोखा था तुम,
यह मैं समझ गई,
पर अफसोस अब कुछ हो ना सकता,
बहुत देर हो गई।
ऐसी सजा दी तुने,
कि क्या कहें,
मोहब्बत क्या होती है,
ना समझ पाएंगे हम कभी।