यादों के फूल
दिल है
धड़कता है
इसमें भरा
प्यार का सागर है
यह तो ऐसी
गागर है
तो छलकाती रहती
प्यार की अनगिनत बूंदों को
प्यार पर चलता
न किसी का
जोर है
दिल के दरवाजे और
खिड़कियां चाहे
कर लो
चारों तरफ से
कितने ही बंद
लेकिन अपनों की
जो याद है
वह इन
दरवाजे और खिड़कियों की
दरारों के
रास्तों से भी होकर
चली आती है
दिल की बगिया में
रोज ही
प्यार भरी
यादों के नये नये
फूल उगाती है
इनकी महक न हो कम
जब तक सांस में सांस रहे
मेरा प्यार
मेरे अपनों के लिए
कभी न हो कम
मेरे दिल में
सदा उनकी याद रहे।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001