यादों की याद रखना
कितना मुश्किल होता है, यादों में याद रखना
वायदा करना और फिर वादों को याद रखना
लगता तो है सुनकर आएगा तो मेरे हालात
मेरा समय रहते ही आ जाना इतना याद रखना
जब तक सफ़र वादियों का कई साथ हैं अपने
घनी धूप में नहीं कुछ भी बचेंगे इतना याद रखना
बहुत जो बात बात पर आपको अपना कहते हैं
बयार उलटी चली , साथ न होंगे, इतना याद रखना
डा राजीव “सागरी”