यादों की मुलाक़ात
गुन-गुना रहा हूँ,तेरे लिए,
जाने खुदा!कहो तुम!
दिल भी कितना रोता है,क्यों ?
अब तेरी बेखुदी जो यूँ,
तनया जियेंगे मरना है जो,
किस्मत में कहा मिली है तू,
किससे पूछा करेंगे ख़ुशी अपनी,
तेरी यादें आयेंगी यूँ,
दोस्ती भी तेरे नाम की,
जाम भी तेरे काम की,
जिन्दगी में क्यों आई,साज़ लेकर,
जाना था जिंदगी में काटों को सहज़ बनाकर,
अधूरे रह जायेंगे,तुम्हारे बिना,
अगर दिल तोडा,यूँ हंसाकार,
फिर आऊंगा अगली बार,तुम्हारा मैं बनकर,
कभी भूल थी, क्या सनम,
कभी तुम थी या वर्षों का गम,
सदा तेरी सजदा करेंगे,न तो वरना गुजर जायेंगे हम|
-ऋषि के.सी.