यादों की बरसात
बंजर हुई इन आँखों मे
गम की घटाएं छानें लगी
सुलगते दिल को और सुलगाने
पूर्व से हवाएं आने लगी
बादलों के संग शोर मचाती
यादों की है बारात आयी
आज फिर नम हो गयी पलकें
आज फिर है बरसात आयी
अकेलेपन की सारी हदें
मेरे दिल में जैसे उतरी हो
एक एक पल ऐसे गुजरा
कई सदिया जैसे गुजरी हो
जैसे तेसे गुजारा दिन को
फिर दबे पाँव है रात आयी
आज फिर नम हो गयी पलकें
आज फिर है बरसात आयी
खुशियों को ढूंढते ढूंढते
हाथों की लकीरें भी पिघल गयी
जीने का जब हुनर आया
तो उम्र हाथ से निकल गयी
ये जिंदगी गम में बीत गयी
ना खुसियां ही अपने हाथ आयी
आज फिर नम हो गयी पलकें
आज फिर है बरसात आयी ।। R.k.