यादों की बगिया
ये मानव निर्मित दूरी
ना दूर तुम्हें कर पाएगी
याद तुम्हारी आती है
ताउम्र ही आती जाएगी
बात भले न तुमसे हो,
भूलें!
ये न हो पाएगा।
समय का पहिया चलता है
ऐसे ही चलता जाएगा
आसान नहीं है दुनियाँ में
दिख जाए किसी में ही दुनियाँ
ऐसी चाहत को बोलो,
क्या कोई भूल भी पाएगा?
-अटल©