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7 Mar 2023 · 1 min read

यादों की अलमारी

बासी पुरानी ज़िन्दगी के घर में
अब भी एक कोना बचा हुआ है
जिससे ख़ुशबू आती रहती है।
उस कोने में एक बे-हद पूरानी
दबीज़ यादों की अलमारी रखी है
जो मुझको बुलाती रहती है।
सैकड़ों सूखे ग़ुलाब हैं उसमें
अनगिनत ख़त और
ख़तों में लिपटे ख़्वाब हैं उसमें।
पर साथ में एक तन्हाई है
ख़ालीपन की गहराई है।
कुछ बीते हुए रूमानी लम्हें
उल्फ़त में खाई अधूरी कसमें
एक गूंगी चीख
और दो नम आंखें हैं।
दुल्हन के जोड़े में
वो जानी पहचानी लड़की है उसमें
जो मेरे आंसुओ को पोछते हुए कहती है
अब मैं किसी और की हूँ
तुम अपना ख़याल रखना ।

-जॉनी अहमद ‘क़ैस’

Language: Hindi
1 Like · 176 Views

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