यादे
यादे पर कविता
यादो के समंदर में कोई चला जाए ,,
वो तो समंदर की तलहटी में ही बैठ जाए ।
जब हवा ,यादो की खुशबु लेकर आए ,,
तो ऊपर भंवरे तितलियो की तरह मंडराए ।
जब यादे
फीके चहरा पर जब अपनों की याद आए
वो तो दिल की गहराई के आशुओं में मिल जाए
।
नग्मे इश्क के कोई गाए
तो यादे जिक्र मोहब्बत में मिल जाए ।
यादे ,पेड़ की हर डाली है तो
पत्ता टूटकर गिर जाए तो डाली के बिछड़ने के गम में मिल जाए।
कामयाबी की यादे जब तेरे कदमो को चूमे तो होठो पर दुआ ही निकल आए ।
मोहब्बत अजीब दस्तूर है दुनिया का ,,
इश्क यार के हर हिस्से में हर दम आए ।
सुबह का सूरज जब निकले
तो यादों की किरणे तेरे चहरे पर
तरोताजा ही कर जाए ।
जब चाँद सितारों में मोन बेठा ,
तब टूटकर कोई तारा गिरे धरा पर तब
चाँद को अपने चमन से बिछड़ने की याद आए ।
फूलों के गुलशन है कितने बागियों में,,
यादो के भंवरे इन पर ही मंडरा आए ।
शीतल सी धारा बहे अपनी ही मस्ती में यहां मोड़ पर बल खाए तो नदिया तेरी याद आए ।
शांत है यह भव सागर कितनी गहराई में,,
यह यादे कितनी शोध के गोते लेकर आए ।
यादो के धागे सीने की कोशिश करे,,
उझड़े चमन में जुड़ने के मोती लेकर आए ।
जीने के उन लम्हो को याद करे
ओस से हल्की थी अश्कों को ही पी जाए ।
प्रवीण शर्मा ताल
स्वरचित कापीराइट
कविता
टी एल एम् ग्रुप संचालक
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