यादे अनमोल
#यादेंअनमोल
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यादें बहुत शौकीन होती है.. वो हमेशा सज धज कर मन के दरवाजे पर खड़ी रहती हैं…
उनमे ग़ज़ब का आकर्षण होता है…वो बुलाती रहती…
उन यादों का एक बेशकीमती खजाना भी होता है. जो चाहकर भी खर्च नहीं हो पाता..
क्युकी इस अमूल्य निधि को कोई खोना ही नहीं चाहता….
बस यादे अपने रास्ते पर सफर करती रहती है और आहिस्ता आहिस्ता चलते चलते कब तूफान बन जाती है. इसका पता उसके थमने के बाद ही चलता है…
यादों का सीधा सम्बन्ध मन से ही है..
यूँ कह सकते हैं कि मन ही उसका अपना घर है जहाँ वो एक कक्ष से दूसरे कक्ष मे घूमती रहती.. लेकिन ये कक्ष jail के कक्ष की तरह है..
जिसमें सिर्फ अंदर ही रहना है बाहर विचरने की आज़ादी नहीं… और अगर बाहर गई तो बादल बनकर उमड़ घुमड़ कर आयेंगी और आँखों में बारिश कर के चली जाएंगी…
कुछ यादे चिर काल तक प्रतीक्षित रहती हैं और कुछ यादे मुस्कराने की वज़ह होती हैं..
.और सबसे खास बात यादे बेहद प्रवाहमान होती हैं.. एकदम सागर की लहरों की तरह. एक आती है दूसरी जाती है लेकिन रुकती नहीं है..
जैसे लहरों को समेटा नहीं जा सकता वैसे यादे भी कहाँ सिमटती है…. वो
तो अपनी जगह तलाश कर हिलोरें लेती रहती…
इंसानी जीवन अनगिनत यादों से जुड़ा हुआ है… जन्म से लेकर मृत्यु तक इनका लंबा सफर….. हर उमर का अलग सफर…. अनगिनत झरोखे…
बचपन का परिवेश. नटखट अंदाज… बाल सुलभ क्रियाएं…..
किशोरावस्था की नवीन अनुभूतियां.. अलग परिवेश. जिज्ञासु अवस्था..अल्हड़पन की अनेक स्मृतियाँ …
फिर युवावस्था की अलग ही दुनिया.. एक अलग समाज का अनुभव.. उच्च शिक्षा के साथ जाति एवं वर्ग का ज्ञान…. सामाजिक परिवेश.और कुरीतियॉ एवं राजनीतिक परिदृश्य का आकलन….. और सबसे बड़ी पूँजी स्वस्थ मित्रता का अनुभव.. इनके अमूल्य खजानों ने यादों को अनमोल बना दिया…
वास्तव में यही तक सामन्य रूप से एक सरल जीवनशैली होती है. कोई समस्या नहीं होती.. और मन रमता जोगी होता है.. जहां मन मिला वहीँ रम गए… और अपने अन्तर पटल पर सुनहरी यादे छोड़ देते हैं जो संजीवनी का काम करती है…
जब गृहस्थ जीवन आता है तब कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. फिर से एक अलग व्यक्ति के साथ जीवन निर्वाह.. नए परिवार में सामंजस्य स्थापित करना..समुचित आदर सम्मान देना और प्राप्त करना.. फिर स्वयम और परिवार के साथ अपने बच्चों की समुचित परवरिश
करना. उन्हें योग्य बनाने का प्रयास करना और अनेकानेक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और सारा जीवन इसी चक्र में स्थित रहता है. घूम फ़िर कर अपने ही रेडियस मे रहना है.. और ये जीवन काल बहुत सी खट्टी मीठी यादो से सरोबार होता है जो हमे एक बेहतर सामाजिक जीवन देता है…
हमे सम्पूर्ण अनुभव देता है जिस से हम कुछ सीखते हैं और कुछ सिखाते हैं…
.इसलिए यादों का झरोखा खोलना आसान नहीं है…. हर पल की हर यादों की विशिष्ट पहचान है. कोशिश करे कि हम अच्छी यादों से जुड़ते रहे और पीड़ादायक यादों को भूलते जाएं तभी यादों का पटल सुसज्जित रहेगा…………….
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ओ बावरे मन… कोई लिस्ट नहीं है यादों की..
न कोई नोटिस है इनके इरादों की
जब जी चाहे… जैसे चाहे.
दे देते अपनी ख़बर. ज़ज्बात इरादों की….
जब चलती हैं ये यूँ आहिस्ता…
लेकर डोली कोरे जज्बातों की…
बस ये यादे पीछा नहीं छोड़ती
बुनती रहती झूठे सपने यादों की….
आँखों ने सीख लिया भीगने का हुनर
जब तन पर पड़ती बूंदे बारिश की..
मन की फुहार बहुत ऊंची है..
आँखों ने इसे क्यूँ ढकने की कोशिश की…
यादों का बना एक भ्रम जाल है
उसमे जब मन ये अटक लिया…
कितना समझाएं चंचल मन को
कुछ को ओढ़ लिया.. कुछ को छोड़ दिया….
अभी तक दिल तक जाती राह की आस है.
.तेरी आँखों में अब भी प्रेम है विश्वास है…
बेवजह नहीं रहता जेहन में यादों का होना.
खुशी से. बिताया गया हर पल खास है…
Shubha Mishra
21 August 2021
मौलिक एवं अप्रकाशित