यादें
अक्सर ये दर-ओ-दीवार पहलू मे खींच लाते हैं
याद सदियों पहले की कोई दास्ताँ दिलाते हैं
मंजर से तैरने लगते हैं धुंधली रोशनी के सागर में
बारिश के सर्द झोकों से लम्हें आते जाते हैं
मौका ताड़ लेता है आँखों का खारा पानी भी
वक्त की चादर मे लिपटे बेबस सितारे नजर आते हैं
(स्वरचित मौलिक रचना)
M.Tiwari”Ayan”
Mob.9452184217