यादें
और कुछ भी न मांगता हूं मैं किसी से,
तुमको ही मांगता हूं बस तुम्हीं से ।
अफ़सोस हमेशा यही हर बार होता है,
वही दूर हो जाते हैं जिनसे प्यार होता है।।
अटल होता है जाना यह सबको ज्ञात होता है,
सुनिश्चित है समय फिर भी समय अज्ञात होता है।
रह जातीं हैं मधुर यादें उर की वेदना बन कर,
उन्हीं यादों का संबल सबके साथ होता है।।
चाहे जैसे, जहां भी, कहीं से,
तुमको ही मांगता हूं सभी से।
ईश्वर भी तुम्हीं हो, तुम्हीं हो इबादत,
कर दो इतनी सी कहीं से इनायत,
आवाज देना कभी भी कहीं से,
आस केवल तुमसे और तुम्हीं से ।।
©अभिषेक पाण्डेय अभि