यादें
तुम आ जाती हो,
साँझ सवेरे ।
मन की गहराइयों,
में बसी हो मेरे ।।
बचपन की गलियों से,
गुजर कर आती ।
तीज त्यौहार की उमंग,
तुम हो लाती ।।
मित्रों के चित्रों से ,
होकर तुम सज्जित ।
हँसी और खुशी को,
संग लाती नित नित ।।
भौर की सुंदर बेला,
पंछियों का चहचहाना ।
संध्या की स्वर्ण रश्मि,
बारिश में वो नहाना ।।
मेरा सब कुछ तुम हो,
दिल में बसे वादें हो।
कौन हो तुम, कौन हो,
तुम मेरी यादें हो ।।
।।जेपीएल।।