यादें
जिंदगी की रील में,
कुछ यादें चलती रहती चलचित्र की भांति,
कुछ खट्टी तो कुछ मीठी,
कुछ देती गर्माहट तो कुछ आंखे नम कर जाती,
कुछ यादें सकून सी तो कुछ बेचैनी फ़ैलाती,
चलचित्र की भांति दिमाग में चलती जाती
कहाँ मुमकिन है इनसे भागना
यही तो सच का आइना दिखाती,
अनुभव का तीखा-मीठा ज्ञान दे जाती,
बंद दिमागों के कपाट खोलतीं,
नदी की तरह अठखेलियां करती,
जीवन प्रवाह के साथ बहती जाती,
ज़िंदगी की रील में, कुछ यादें चलती रहती चलचित्र की भांति !!!