यादें
सासें हैं क्या याद दिलाती रहती हैं
कोई है कोई है याद आ रहा है।
धूमिल नहीं पड़ती ये बेवफा नहीं,
साथ देने मे उस्ताद हैं, माहिर हैं!
कोई इनसे पूछे क्या हासिल हुआ,
फूँक मारो, तो सुलगते अंगार है ये।
रस्मों रिवाज् से बंधी हैं ये,
जलना जलाना ही नियति बनी है इनकी।
कोई जाये, कोई आये, इठलाना,
इतराना मजबूरी बनी इनकी,
हमें भी तो प्यार इनसे!इनको हमसे?
हमने भी इनसे इन्तहा मोहब्बत की है।।
मधु