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15 Jun 2022 · 1 min read

यादें वो बचपन के

एक समय था जब पापा,
गुड़ियाँ लेकर आते थे
कहीं से आने पर आंखें उनकी
हमें ही ढूँढने लग जाते थे!!!

अगर मैं रूठ जाऊं कभी उनसे,
तो कितने प्यार से मनाते थे
अगर कभी पीटती मम्मी मुझको,
तो कैसे पापा हरदम बचाते थे!!!

अगर मुझे कुछ भी होता,
तब वह सीने से लगाते थे,
खुद झेलते कङी धूप-सर्दी को ,
पर मुझे सदा ही इससे बचाते थे!!!

सुना कर अपनी प्यारी बातें ,
कुछ ऐसे मुझे वो सुलाते थे,
सोती उस रात नींद सुकूँ के,
जब पापा घर को आते थे!!!

खुशबू खातून
सारण,बिहार

8 Likes · 4 Comments · 608 Views
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