यादें गांव की
छोड़ एसी की हवा,पीपल की छांव में
मैं लौट जाना चाहता हूं,फिर से अपने गांव में।।
जन-जन का जब गांव में,लगता है चौपाल।
सुख-दुख आपस में बांटते,पूछते हैं हाल-चाल।।
कोई नहीं है पूछता,शहर के इस पड़ाव में।
मैं लौट जाना चाहता हूं फिर से अपने गांव में।।
गांव की सुंदर खेतों में, जब चलता मस्त समीर है।
मन हर्षित हो जाता, रहता स्वस्थ शरीर है।।
है प्रदूषण भरा हुआ शहर की कांव-कांव में
मैं लौट जाना चाहता हूं फिर से अपने गांव में।
गांव में हर एक आदमी से,बात होते रहती है।
हर चौक चौराहों पर,मुलाकात होते रहती है।
यहां (शहर )तो सब परेशान हैं अपने ही तनाव में।
मैं लौट जाना चाहता हूं फिर से अपने गांव।
मैं लौट जाना चाहता हूं फिर से अपने गांव में।
✍️ प्रजापति कमलेश बाबू ?