यादगार बरसात
यादगार बरसात
याद आ रही है मुझे वो बरसात ,
जब उनसे हुई पहली मुलाकात ।
प्रेम में लिपटी थी हर इक बात ,
उमड़ने-घुमड़ने लगे थे जज्बात ।
बड़े ही नाजुक थे हमारे हालात ,
ढलने लगी थी भीगी-भागी रात ।
चांद सितारों ने सजाई थी बारात ,
वो यादगार लम्हें जीवन सौगात ।
एक करवट ने दिखा दी औकात ,
जब गिर पड़ी पलंग से झंझनात ।
मैं कराह उठी लगा गहरा आघात ,
तौबा-तौबा वो बरसाती ख्यालात ।
– सौ. सुमिता मूंधड़ा , मालेगांव , नाशिक