*कस्तूरबा गाँधी पक्षी-विहार की सैर*
कस्तूरबा गाँधी पक्षी-विहार की सैर
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22 मई 2022 शाम 6:00 बजे । रामपुर के दर्शनीय मनोरंजन स्थलों में कस्तूरबा गाँधी पक्षी विहार इस समय पहले स्थान पर कहा जा सकता है । 2022 की गर्मियों में आम जनता के लिए यह खुला है । यद्यपि इसका शिलान्यास 2014 में तथा उद्घाटन का शिलापट 2016 का अंकित है ।
विशाल क्षेत्र में स्थित पक्षी-विहार अपनी मजबूत ,सुंदर और ऊँची चारदीवारी के कारण दूर से ही ध्यान आकृष्ट कर लेता है। पक्षी-विहार के चारों तरफ चौड़ी ,पक्की और साफ-सुथरी सड़कें इसके सौंदर्य को चार चाँद लगा रही हैं ।
जेल-परिसर से थोड़ा आगे चलते ही कस्तूरबा गाँधी पक्षी विहार शुरू हो जाता है । इसकी विशेषता यह है कि इसमें हजारों की भीड़ को समाहित करने की क्षमता है । लंबे-चौड़े पार्किंग स्थल , चौड़ी सड़कें , शानदार प्लेटफार्म और टिकट खिड़की के पास बना हुआ भव्य आंतरिक प्रवेश द्वार मानो हमें किसी परीलोक में घूमने के लिए निमंत्रित कर रहा है। केवल ₹20 के टिकट में यह एक अच्छा मनोरंजन स्थल है।
आंतरिक प्रवेश द्वार में प्रविष्ट होते ही दाहिनी ओर महात्मा गाँधी और कस्तूरबा गाँधी की आदमकद प्रतिमाएँ श्रद्धा-भाव से हमारा ध्यान आकृष्ट करती हैं । हृदय राष्ट्र के प्रति सादगी और सेवा भाव का आदर्श प्रस्तुत करने वाले इस महान दंपति के प्रति नतमस्तक हो जाता है ।
रंगीन टाइलें पक्षी विहार के मार्ग पर पड़ी हुई हैं , जिससे न केवल मार्ग की शोभा द्विगुणित हो गई है अपितु चलते समय भी बहुत आरामदायक महसूस होता है । मार्ग के दाहिनी ओर दीवार पर सुंदर पेंटिंग विभिन्न पक्षियों आदि की उकेरी गई हैं । कुछ जानवरों की मूर्तियाँ जैसे शेर ,घोड़ा आदि वातावरण को प्राकृतिक बनाने में सहायक हैं। नृत्य की मुद्रा में स्त्री और पुरुष की आदमकद मूर्तियाँ उल्लास का वातावरण उपस्थित करती हैं । विशेषता यह है कि इन मूर्तियों के पास जाकर विचरण करने के लिए एक फीट नीचे उतर कर चौड़ा गलियारा बनाया गया है, जहाँ आराम से लोग मूर्तियों के आसपास उन्हें निहारते हुए कुछ क्षण गुजार सकते हैं। हमने काफी लोगों को इन स्थानों पर सेल्फी लेते हुए देखा । लोग खुश थे । स्थान-स्थान पर फव्वारे न केवल गर्मियों के माहौल में ठंडक का एहसास कराते थे बल्कि पर्यटन-स्थल की शोभा भी बढ़ा रहे थे। जन समुदाय की उपस्थिति पर्यटन-स्थल को वास्तव में एक मेले का स्वरूप प्रदान कर रही थी।
हमने देखा कि लोग परिवार के साथ घूम रहे हैं । स्त्री-पुरुष उत्सव की मुद्रा में आनंद उठाने के लिए कदम बढ़ाते हुए इधर से उधर चले जा रहे हैं ।
खाने-पीने के भी कुछ स्टॉल लगे हैं । एक स्टॉल का नाम “सेकंड वाइफ” अंग्रेजी में लिखा हुआ था जो बड़ा अजीब-सा लगा । प्योर वेजीटेरियन अर्थात शुद्ध शाकाहारी भी एक स्टॉल के बोर्ड पर अंकित था । सॉफ्टी-आइसक्रीम के स्टॉल के भीतर का परिदृश्य रामपुर रजा लाइब्रेरी ,गाँधी समाधि आदि के चित्रों से सुसज्जित होने के कारण पर्यटन-स्थल के माहौल के अनुरूप वातावरण बनाने में सक्षम था । हमने पाया कि कुछ झूले हैं ,जो बिजली से चलते हैं। इनके अलग से टिकट हैं । एक स्थान पर परिसर में बच्चे घोड़े पर सैर का आनंद ले रहे थे ।
पक्षी-विहार का एक आकर्षण इसमें बनाई गई कृत्रिम झील है । जिसमें जब हम गए ,तो पानी बिल्कुल नहीं था । झील के भीतर दो-चार नावें एक तरफ को उठाकर रखी हुई जरूर दिखीं। जिससे अनुमान होता है कि या तो यह पहले कभी चलती रही होंगी या भविष्य में झील में नौका-विहार के लिए इनका इंतजाम किया गया है । झील में ही एक वृहदाकार सफेद रंग का कमल का फूल बनाया गया था । श्वेत-कमल का निर्माण संभवतः कपड़े से किया गया जान पड़ रहा था। यह एक शोभा की वस्तु के तौर पर झील के अंदर निर्मित किया गया था लेकिन इस श्वेत कमल की आध्यात्मिकता से ओतप्रोत शांति से झील का सौंदर्य काफी बढ़ गया। समीप ही एक वृहदाकार मोटर-बोटनुमा इमारत झील के कोने पर बनी हुई थी। जिसके बारे में मालूम चला कि इसे एक रेस्टोरेंट के रूप में विकसित करने की योजना है ।
जब हमने पक्षी विहार में प्रवेश किया था, तब उसके बाद एक दरवाजा आया था। जिस पर अंग्रेजी में “इंडिया” लिखा हुआ था। यह ” इंडिया गेट ” की एक प्रकार से प्रतिकृति थी ,जिसका उद्देश्य भारत के ऐतिहासिक भवनों से पर्यटकों को परिचित कराना कहा जा सकता है । परियोजना का यह उद्देश्य तब और भी स्पष्ट हो गया जब भीतर एक मैदान में ” कुतुब मीनार ” की प्रतिकृति और दूसरे मैदान में ” ताजमहल ” की प्रतिकृति देखने को मिली । कुतुब मीनार अपनी वास्तविकता के अनुरूप भूरे रंग में खड़ी की गई थी जबकि ताजमहल श्वेत चंद्रमा की भाँति आभा बिखेर रहा था । कुतुब मीनार की तुलना में ताजमहल पर्यटकों का ध्यान कहीं ज्यादा आकृष्ट कर रहा था । इसके आगे ठीक वैसी ही पानी के फव्वारा आदि की एक क्यारी बनाई गई थी जैसी मूल ताजमहल में हमें देखने को मिलती है । जो लोग आगरा जाकर ताजमहल को तथा दिल्ली जाकर कुतुबमीनार को वास्तविक रूप में नहीं देख पाए हैं ,उन्हें थोड़ी संतुष्टि कस्तूरबा गाँधी पक्षी विहार में आकर प्राप्त हो सकती है ।इस तरह यह ज्ञानवर्धन का एक केंद्र भी कहा जा सकता है ।
कस्तूरबा गाँधी पक्षी विहार शहरों की भागदौड़ की जिंदगी में सैर-सपाटा और मनोरंजन के लिए एक बहुत ही खूबसूरत जगह है । यहाँ चाहे जितने घंटे बिताओ ,समय का पता ही नहीं लगता । खूबसूरत बिजली की व्यवस्था जहाँ एक ओर ताजमहल की खूबसूरती को बढ़ा रही थी ,वहीं दूसरी ओर संपूर्ण परिसर में प्रकाश-व्यवस्था बढ़िया तरीके से मेंटेन की हुई थी ।
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लेखक : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451