यातायात
जल्दी में क्यों रहता मानव ,
लाल बत्ती पे क्यों न रुकता मानव ।
मौत की दावत लेता क्यों है ,
पुलिस रोके तो फिर घुस देता क्यों है ।
नियम तू सारे जाने ,
फिर भी हेलमेट तू साइड में लगा ले ।
देखा देखी करता क्यों है ,
जीवन को बेमुल्ये समझता क्यों है ।
फाटक लगता पर तु न माने ,
रेल को गाड़ी से तू नापे ।
रुकी हुई है सारी गाड़ी ,
पर तेरे रॉकेट की रेस है जारी ।
पीली बति बोले होजा धीरे
भाई करले गाड़ी धीमे ।
तू क्यों उससे उल्टा जाये ,
गाड़ी को ओर तेज़ भागये ।
हरी तो सबसे प्यारी लगती ,
कहती चल दे चल दे जल्दी ।
फिर भी तू स्पीड बड़ये ,
जोश में रहके होश गवाये।
ओवर टेक तू करता रहता ,
सफेद वर्दी को मान बेठा यम का चेला ।
वो तो सही रहा बतलाये ,
कुछ को रोके कुछ को बाड़ेये ।
कुछ की आदत डाली तूने ऐसी ,
अब वो दानव तुझेको ही खाये ।
लाइट भोपू इंजन खराब बताकर ,
20 के 50 ले जाये ।
लाइसेंस वाला फस जाये ,
अपराधी शॉर्टकर्ट से जाये।
उल्टी पड़ी है सारी बाजी,
गाड़ी नही ये तो हुई रूप की रानी ।
मौत को तू खलौना समझे ,
तेल पीती रानी को दिये सब दर्जे ।
तेरी चित ओर पट है चलती,
ट्रैफिक पुलिस को मन लिया घर की चटनी ।
चटनी को तू रोज़ सताये ,
कभी तीखी तो कभी फीकी चटनी पड़ जाये ।
पर काल के काल पे बेफ़िकरे बैठा तू है ,
स्याना नही दिमाग का पैदल तू है ।