याचना
मातु तेरे द्वार आऊॅं, थाल दीपों की लिये,
भाव की बाती बनाऊँ, याचनाओं के दिये।
तेल मेरी कामनाएं, और ज्वाला हृदय की,
बाल दूँ दर पे सभी मैं, शीश चरणों में किये।।
माँग लूँ आशीष तुझसे, उभय कर जोड़े किये,
दो सकल सुख-शांति सारे, विश्व के जन के लिए।
एक दूजे के सभी पूरक बने, मिलकर रहें,
हो यही संदेश नित, प्रत्येक मानव के लिए ।।
दुःख हो जब एक को तो, दुखित सारा जग बने,
हो सुखी हर व्यक्ति तो फिर, चैन से सारे रहें।
द्वेष , ईर्ष्या, दंभ हमसे , कोटि मीलों दूर हो,
चाह सबकी यही हो, तुम भी रहो हम भी रहें ।।
✍️ – नवीन जोशी ‘नवल’