*”याचना”*
बारिश का पानी
धरती ,आकाश ,सूर्य ,बादलों के बीच में ,
आज भयंकर युद्ध छिड़ गया ,
धरती बोली – भीषण गर्मी में आग की तरह से झुलस रही हूँ।
तपन गर्मी की सहने के लिए ,
वो आकाश के बादल जल बरसाओ ना ,
तपती धूप गर्मी से सबको राहत दे जाओ ना ,
सूरज दादा तुम भी अपनी गर्मी में शीतल छाया दे जाओ ना ,
सूरज दादा बोले – मैं क्या करूँ …?
मुझे समझ में ना आये …?
ये धरती के प्राणी अपनी सुख के कारण ,
पेड़ पौधे नष्ट कर पर्यावरण को बिगाड़ दिया है,
सारे पेड़ काटकर अपना आशियाना बना लिया है।
मेरा काम सुबह सबेरे उदय होना ,
साँझ ढले चले जाना है।
आकाश भी बोल उठा – प्रदूषण नियंत्रण करने के लिए गाड़ी का उपयोग कम करो ….?
सारी दुनिया भर में वायु प्रदूषण से मैं भी परेशान हो गया हूँ।
क्या करूँ …….?
आज धरती ,आकाश ,सूर्य देव ,बादलों में जमकर ,
बहस छिड़ गई है …..
सब मिलकर एक साथ घमासान युद्ध मचा हंगामा शुरू किया …
बादलों ने 🌧️⛈️💨🌬️💨💨🌬️☁️🌧️⛈️🌩️जमकर बरसना शुरू किया …
ऐसा लगा मानो बादलों में खूब जमकर लड़ाई लड़ी जा रही है …
बिजली दमकती हुई ऐसे चमकी जैसे कोई लाईट तेज रौशनी चमका कर संसार की फ़ोटो ले रहा हो …..⚡✨⚡☄️☄️⚡☄️
धरती बोली इतने गरजने चमकने पर भी मैं तृप्त नही हुई हूँ।
भभक रही ये धरती सारी कैसी गर्मी उमस भरी हुई है।
बिजली चमकी ,⚡☄️ बादल गड़गड़ाहट के साथ गर्जना करते हुए ,💨🌬️
सूरज दादा अपनी प्रचन्ड गर्मी आग की तरह से तेज प्रकाश फैलाते हैं …🌦️⛅☁️🌤️🌤️☀️⛅
आखिर सबने मिलकर अपना तेज भड़ास निकाल ही लिया ..
सुबह सबेरे फिर सूरज दादा अपने तेज पुंज लिए उदय हो गए हैं ….☀️🌤️⛅
बादलों की लुका छिपी के बाद इतनी तेज बादलों की गड़गड़ाहट ,
बिजली का चमकना ,
सारी धरती कांप उठी थी।
अब वही दिन नए सूरज का उजाला लिए हुए ,
फिर से नए दिन की शुरुआत लिए प्रभु की शरण ले ली है।
आखिर क्या हो सकता है क्या करें कौन पहल करेगा ,कैसे करेंगे बहुत से सवालों का जवाब हम स्वयं खुद सारे संसार के लोगों की जिम्मेदारी सौंपी गई है…..?
इस ग्लोबल वार्मिग का जिम्मेदार कौन है….? ?
समाधान निकालना जरूरी है वरना सारी दुनिया का क्या हर्ष होगा ये सभी जानते हैं
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पर्यावरण संरक्षण कीजिये धरती माँ को बचाइए
🙏
शशिकला व्यास✍️