यह हिन्दुस्तान हैं बेटा
नदी किनारे बैठा,
खीचता मिटाता रकील।
निराशा से भरा मन,
बैचेनी का बन प्रतीक।
सहसा किसी ने टोका,
क्या सोच रहे हो नव जवान।
वैसक है कोई उलझन,
समस्या से हो परेशान
सर उठाकर देखा,
थे कोई साधु अनजान।
परीक्षा में फेल हो गया मैं,
टूट गये सारे अरमान।
नहीं नहीं सम्हल अभी,
तू तो बजीर बनेगा।
यह हिन्दुस्तान है बेटा,
अनपढ़ भी चलेगा।
क्षेत्र राजनीति का देखो,
सब के लिये खुला.है।
यहाँ योग्यता पढा़ई नहीं,
वाचालता की ज्यादा है।
अच्छे बुरे का छोड ख्याल,
विरोधि तेवर अपनाना है।
कोई नहीं अपना पराया,
सिर्फ मीडिया का ध्यान रखना है।
बाबा की समझकर,
मन प्रसन्न हो मुस्कराया।
फेल होने का सारा दोष,
परीक्षा प्रबन्धन पर लगाया।
जुड़ने लगे सभी हम दम साथी,
सुर्खियों मे स्थान पाया।
मशहूर हो गया सारे नगर में,
भैयाजी जैसा उपनाम पाया।
फेल होने का गम दूर हुआ,
राजनीत में सिपर सलार हूँ।
जिंन्हें मिले थे अच्छे नम्बर,
उनसा नहीं मुहताज हूँ।