यह शहर है हुस्न वालों का।
यह शहर है हुस्न वालों का यहाँ दिल ना लगाना।
तुम हो अभी मासूम इश्क के नाम पर धोखा ना खाना।।1।।
मिलेंगें तुझको यूँ तो यहाँ अपना बनाने वाले बहुत।
भूखा है शहर हवस का तुम अपनी अस्मत को बचाना।।2।।
हमनें देखी है कई ज़िंदगियाँ यहाँ बरबाद होते हुए।
अस्मतों के बाजार में बदनाम कर देगा तुझको भी ज़माना।।3।।
रहने को तो यहाँ भी रहती है कई ज़िंदगियाँ शहर में।
सिसकती आहों में घुट-घुट कर जीती है सारी ही रोजाना।।4।।
सारा शहर ही बे-ज़ार है कोई जाए तो जाए कहाँ।
हर शख्स की हरकतें है यहाँ ज़ुल्मों सितम से भरी काफिराना।।5।।
ज़िंदगियाँ लुटती है यहाँ इस शहर में यूँ तो रातों दिन।
तू अनजान है इन सबसे से मेरा फर्ज था तुझको बताना।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ