यह वक्त भी गुजर जाएगा।
“यह वक्त भी गुजर जाएगा।”
यह वक्त भी गुजर जाएगा।
कुछ पल का कठिन दौर है,
आगे एक नया मोड़ है।
बस राह भटकना न राही!
कुछ दूर तलक यह होड़ है।
एक छोर पर पहुंचते ही,
यह शोर भी गुजर जाएगा।
यह वक्त भी गुजर जाएगा।।
यह बिखरा हुआ तेरा जीवन,
उखड़ा-उखड़ा यह मानव मन।
फिर बदलेगा सर्वस्व यहां,
सब लोग मिलेंगे जहां-तहां।
बदहाली का यह आलम,
खुशियों से संवर जाएगा।
यह वक्त भी गुजर जाएगा।।
माना बिगड़े हालात हैं,
कयामत के दिन रात हैं।
फिर भी तू आगे बढ़ता जा,
पग-पग की सीढ़ी चढ़ता जा।
संभलेगा यह चक्र और,
तू भी कुछ कर जाएगा।
यह वक्त भी गुजर जाएगा।।
यह वक्त भी गुजर जाएगा।।
रचना- मौलिक एवं स्वरचित
निकेश कुमार ठाकुर
जिला- कटिहार (बिहार)
सं०- 9534148597