“यह मेरा रिटाइअर्मन्ट नहीं, मध्यांतर है”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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कई लोग तो कभी -कभी पूछ बैठते हैं ,
—“ जनाब ,आखिर आपको समय मिलता कहाँ से है जो आप कुछ न कुछ लिखते ही रहते हैं ? ”
“बात तो आप सही कह रहे हैं परंतु लिखने की विधा को मैंने अपनी हॉबबी बना रखा है !”
हरेक व्यक्ति की अपनी -अपनी हॉबबी होती है ! जिस किसी काम को कोई व्यक्ति अपने खाली समय में सदुपयोग अपनी आत्मसंतुष्टि के लिए कुछ न कुछ खुद करता है , उस व्यवसाय रहित प्रक्रिया को हॉबबी कहते हैं ! कोई बगबानी करता है ,कोई किसी कला से जुड़ा होता है ,किसीको संगीत का लगन है ,कोई किताबें पढ़ता है ,किसी की आदत है बॉडी बिल्डिंग की ,कोई प्राकृतिक सौदर्य को निहारता है ,किसी को लिखने की आदत हो जाती है और इसी तरह बहुत से लोगों के अनगिनत हॉबबी होतीं हैं !
सच कहूँ तो इस पृथ्वी पर हरेक व्यक्ति आपनी -अपनी हॉबबी के साथ खड़ा है ! हॉबबी के बिना जिंदगी सुनी -सुनी लगने लगती है ! समय हरेक इंसान को एक बराबर मिला है ! सबके हाथों में 24 घंटे हैं ! और ये घंटे हर दृष्टिकोण से उपयुक्त हैं ! सुबह उठना ,नित्य क्रिया से निवृत होना ,व्यायाम करना ,जलपान करना और उसके बाद अपनी पेशा को अधिकांश समय देना यह हमारा कर्तव्य है ! खाली समय का सदुपयोग अपनी हॉबबी को सदेव जीवित रखना हमारी प्राथमिकता रहती है !
एक बात हमें नहीं भूलनी चाहिए कि किसी न किसी रूप में हॉबबी का स्वरूप बदलने लगे और पेशे के तरफ अग्रसर हो जाए तो फिर वह हॉबबी की श्रेणी से उसकी विदाई हो जाएगी ! हम उसे फिर किसी की हॉबबी नहीं कह सकते ! फिलहाल मैंने इस लिखने की हॉबबी को अपनाया है ! 1957 -1968 स्कूल के दिन ना जाने कैसे निकल गए ! 1968-1972 कॉलेज के दिन भी देखते – देखते चले गए ! 1972-2002 तक आर्मी मेडिकल कॉर्पस को समर्पित किया ! आज 72 साल के पश्चात किसी हॉबबी के बंधन में बंधे है !
आज भी सारी गतिविधिओं को करते हुए अपनी हॉबबी को परिमार्जित करने का सौभाग्य मिला है ! तमाम अनुभवों और संस्मरणों आज तक जो मैंने सँजोये रखा था वे आज कल ज्यालामुखी बनकर प्रस्फुटित हो रहे हैं ! यह ना किन्हीं भाषाओं के बंधन में है ना किसी खास विधाओं के चंगुल में ! ये कभी कविता बन जाती है ,कभी लेख के शक्लों में और कभी कहानी और संस्मरणों के रूप में उभर आती है ! आज भी मैं चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ा हूँ ! सारे कामों के बाद मैं इस हॉबबी को आज तक अपने हृदय में संभाल कर रखा हूँ क्योंकि “यह मेरा रिटाइअर्मन्ट नहीं, मध्यांतर है !” अभी तो पिक्चर आधी बाँकी है !
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
02.11.2022