यह नायक सोचता है ।
ढूंढ लाओ कोई अप्सरा यह नायक बोलता है ,
हो बाघ,हो चीता, हो हिरणी, हो मृगनयनी यह नायक सोचता है ,
चले हम सफर बनकर हर डगर यह नायक कहता है ,
ढूंढ लाओ कोई अप्सरा यह नायक बोलता है ।।
मिले जिससे दिल दिल बनकर यह नायक सोचता है ,
रहे खोमोश तन शरारती यह नायक कहता है ,
हो शरारती, हो नटखटी, हो समझदार यह नायक बोलता है ,
ढूंढ लाओ कोई अप्सरा यह नायक कहता है ।।।
चंद चाँद के चमकाहट को यह नायक बोलता है,
आभा-सुरभि-ओज-कनक चाँद हो यह नायक सोचता है ,
हो तेज, हो ओज, हो प्रकाशमय, हो सुंदर यह नायक कहता है
ढूंढ लाओ कोई अप्सरा यह नायक सोचता है ।।।