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25 Feb 2021 · 1 min read

यह देख मेरा मन तड़प उठा…

यह देख मेरा मन तड़प उठा,
हालत क्या हुई समाज की ?
अब खून की कीमत कुछ न रही !
कीमत बढ़ गई मद्यपान की,
यह देख मेरा मन तड़प उठा…

नेताजी अपने गुण्डों से,
अनुशासन भंग कराते हैं,
फिर लंबे लंबे भाषण देकर,
जनता को बहलाते हैं,
अब देशभक्त तो कम हो रहे !
तादाद बढ़ी गद्दार की,
यह देख मेरा मन तड़प उठा…

साहब जी अपने चमचों से,
हर वक्त घिरे ही रहते हैं,
और चमचे चमचागीरी से,
बस अपनी जेबें भरते हैं,
अब कर्मवीर तो कम हो रहे !
संख्या बढ़ गई मक्कार की,
यह देख मेरा मन तड़प उठा…

नहीं कोई किसी पर यकीं करे,
इसका उसको विश्वास नहीं !
रिश्तों से प्रेम का लोप हुआ,
अब दुनिया हो गई मतलब की !
यह देख मेरा मन तड़प उठा,
हालत क्या हुई समाज की ?
यह देख मेरा मन तड़प उठा…

✍ – सुनील सुमन

Language: Hindi
8 Likes · 12 Comments · 808 Views
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