यह कैंसा जिहाद
निहत्थे स्त्री बूढ़े बच्चे इंसान मार रहे हो
और इसको जिहाद बता रहे हो
ये कैसा जिहाद ये कैसा धर्म युद्ध
सरेआम गर्दन काट रहे हो
क्रूरता की हद पार कर रहे हो
और इसे जिहाद धर्म युद्ध बता रहे हो
क्या ये धर्म विरूद्ध नहीं
क्या ये अल्लाह के बंदे नहीं
क्या निहत्थोंऔरतों बच्चों इंसानों को मारना जिहाद है
क्या बाकई तुम्हें जन्नत नसीब होगी
क्या खुदा वेकसूर हत्याओं से बाकई खुश होंगे
क्या इंसान और शैतान में कोई फर्क नहीं
अरे बंदों जिहाद करो अपनी बुराई से
जिहाद करो अपने शैतान से
अपने आप को जगाओ
धर्म मारने के लिए नहीं, धर्म तो जीवन है
एक पथ हैं बुराइयों से लड़ने का
मानवता पर चलने का
उठो बंदों मानव हो, मानवता बढ़ाओ
दुनिया को अमन के पैगाम लाओ