यह जिंदगी मेरी है लेकिन..
यह जिंदगी मेरी है लेकिन…..
रोता हूं तो वो
संभाल लेती है
हँसता हूं तो दुनिया
संभाल लेती है
इस हँसने और रोने के
बीच एक
जिंदगी है
जिसे मैं
सजाता हूं
संवारता हूं
संभालता हूं
निभाता हूं…
यह जिंदगी मेरी है लेकिन
इस पर हक दूसरों का है !!!
इसमें रोटी है, रोजी है
अदावत है, सियासत है
खून है, पसीना है
बच्चे का दूध है..
किताबें है/ करियर है
पत्नी का मंगलसूत्र है..
मां की दवाई है
पिता की सुनवाई है…
कानों में गूंजती
किलकारी है…
मारामारी है…
आँखों में सपने हैं
सभी तो अपने हैं ।।
यह जिंदगी मेरी है लेकिन
इस पर हक दूसरों का है।
सुबह से शाम तक बहुत
उलाहने सहती है जिंदगी
फिर भी मेरी है…क्यों कि
इसकी झोली में भोर है
आँगन में मोर है
रात की तन्हाई है..
चाँद की रजाई है…
तारों की बारात है…
फूल है, बगिया है, भँवरें हैं
अपने नहीं, घर के नखरे हैं
नौकरी है, चाकरी है
कुछ करने
कुछ दिखाने
का हुनर है
क्यों कि
यह जिंदगी मेरी है लेकिन
इस पर हक दूसरों का है।।
सूर्यकांत