*यह क्या है*
यह क्या है ?
क्या हो रहा है ?
जवाव दो ।
लूले लँगड़े इतिहास को और अध्याय जोड़ रहा है।
सीधी साधी आत्माओं को फिर गर्त में मोड़ रहा है ।।
आ रहे हैं उदाहरण एक के बाद एक ।
खो दिया सब बुद्धि विवेक।।
खोले हैं आध्यात्मिक इमारतें
करते हैं हरकतें ,शरारतें ।।
नंगयी , ठोस ठगयी ।
तुम्हारी बुद्धि कहां मर गई ।।
उनके साथ जिसमें तंमाम पारिवारिक
रिश्ते समाये हैं ।
उनसे खिलवाड़,ये उसूल,ये हविश
के पेड़ उगाये हैं ।।
छि थू
घोर पाप किसकी आड़ में ।
छल, कपट ,पाखण्ड,आडम्बर,झूठ
के प्यार में ,लाड में ।।
यह शिक्षा , यह विद्या ।
कहाँ लिखी है , किस पन्ने में ?
जम गई जीभ ,
दिख रहा है भूत ,वर्तमान,भविष्य ।
सब कुछ हविष्य !
निरुत्तर !
बैशाखिया मत दो और वतन को ,चमन को ।
मत दो महत्त्व और डुबाने को , हवन को ।।
छि मानवता के पैगम्बर ।।