यह कैसी ज़िंदगानी ?
पहले बरसात होती थी मस्त
अब तो मानसून से पूर्व की
बारिश ने ही
इतनी उद्धम मचाई है
कि दिल, घर, बाज़ार
सब जगह ही
पानी ही पानी….
पानी-पानी-पानी….
कि हुई पानी-पानी
यह कैसी ज़िंदगानी ?
छुई-अनछुई !
पहले बरसात होती थी मस्त
अब तो मानसून से पूर्व की
बारिश ने ही
इतनी उद्धम मचाई है
कि दिल, घर, बाज़ार
सब जगह ही
पानी ही पानी….
पानी-पानी-पानी….
कि हुई पानी-पानी
यह कैसी ज़िंदगानी ?
छुई-अनछुई !