यह कैसी होड़?
साहित्य रचना कर रहे ,
या लगा रहे हो चूहा दौड़।
एक दूजे को पछाड़ने में,
लगा रहे हो बड़ी होड़।
कागज़ पर कागज़ भरते रहना,
मात्र रचना शीलता नही होती ।
जो दिल को असर करे ,
और हो देश और समाज उपयोगी ,
ऐसी अमूल्य निधियों की ही ,
समय को जरूरत है होती ।
आप साहित्यकार नहीं हो सकते,
आप हैं मात्र प्रतियोगी ।
ईर्ष्या और अभिमान की भावना की ,
सच्चे साहित्यकार को आवश्यकता नहीं होती ।
यह साहित्य रचना कोई चूहा दौड़ नहीं ,
यह है वास्तव में एक पवित्र और सच्ची साधना ।
बिना इसके कोई रचना अमूल्य नहीं होती ।