Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Mar 2018 · 2 min read

यह कैसी दिल्लगी ?

आखिर क्यों पालते हैं लोग,
अपने घरों में जानवर ?
समय बिताने के लिए ,
या दिल बहलाने के लिए?
समय तो चलो ! अच्छा गुज़र जाता है.
इंसान का जानवर के साथ ,
जानवर का इंसान के साथ ,
समय बहुत अच्छा गुज़र जाता है .
इसमें तो कोई बुराई नहीं.
दोनों इक दुसरे से खुश हों,
इसमें तो कोई हर्ज़ भी नहीं.
एक आधुनिक इंसान के लिए ,
जानवर का साथ कितना महत्वपूर्ण है?
वोह उसे क्या समझता है ?
एक जानवर ! कोई वस्तु ,या कहीं उससे बढ़कर ,
एक परिवार का अहम् सदस्य .
या इंसान की सोच /जज़बात / ज़रूरत पर ,
निर्भर करता है.
मगर एक संक्षिप्त बुद्धि वाला, मासूम छोटे से दिल वाला,
बेजुबान जानवर उस अस्थायी रिश्ते को ,
बड़ी शिद्दत से महसूस करता है.
एक इंसान के लिए उस जानवर के सिवा ,
और बड़ी दुनिया हो सकती है.
मगर एक जानवर के लिए उसका मालिक ही ,
एक पूरी दुनिया है.
जाने क्यों इंसान उस मासूम ,छोटे से दिल को ,
क्यों समझ नहीं पाता है.
पढता है बड़ी-बड़ी किताबें, ग्रन्थ ,वेद -पुराण ,
मगर किसी की संवेदनाओं को नहीं पढ़ पाता है.
अजी ! इंसान ,इंसान को नहीं समझता ,जानवर की तो बात छोड़ो.
इंसान को भले ही तुम न समझो ,
वोह तो प्रतिकार कर अपना हक कैसे भी तुमसे ले लेगा .
मगर जानवर के एक भोले ,निश्छल ,निष्कपट मन,
उनकी संवेदनाओं को कौन समझेगा ?
उसकी अस्पष्ट ,अव्यक्त वाणी को ,
तुम्हारे सिवा कौन समझेगा?
जानवर भी है परमात्मा की अनमोल कृति .
उसकी भावनाओं का सम्मान करो.
ना उसके जीवन से ,और ना ही उसके दिल से खेलो.
उसे भी सरंक्षण, व् जीने का सामान अधिकार दो.
यदि निभा सकते हो स्नेहपूर्ण ,निस्वार्थ रिश्ता ,
तो घर में उस मूक संवेदनशील जीव को लाओ.
अन्यथा पहले नेह का बंधन बांधकर ,
तदोपरांत बेदर्दी से अपना दामन मत छुडाओ .
उसे प्यार दो , अपनत्व दो, सम्मान दो ,मगर उसके साथ ,
कृपया दिल्लगी मत करो.

Language: Hindi
430 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
View all
You may also like:
मन खामोश है
मन खामोश है
Surinder blackpen
जीवन है आँखों की पूंजी
जीवन है आँखों की पूंजी
Suryakant Dwivedi
मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
मंत्र :या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता।
Harminder Kaur
"बिन तेरे"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
तुम आये तो हमें इल्म रोशनी का हुआ
sushil sarna
उम्र पैंतालीस
उम्र पैंतालीस
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
इतनी जल्दी दुनियां की
इतनी जल्दी दुनियां की
नेताम आर सी
कह कर गुजर गई उस रास्ते से,
कह कर गुजर गई उस रास्ते से,
Shakil Alam
आदमी की संवेदना कहीं खो गई
आदमी की संवेदना कहीं खो गई
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"साजन लगा ना गुलाल"
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
नेता खाते हैं देशी घी
नेता खाते हैं देशी घी
महेश चन्द्र त्रिपाठी
💐प्रेम कौतुक-494💐
💐प्रेम कौतुक-494💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
कोई ज्यादा पीड़ित है तो कोई थोड़ा
कोई ज्यादा पीड़ित है तो कोई थोड़ा
Pt. Brajesh Kumar Nayak
J
J
Jay Dewangan
हलमुखी छंद
हलमुखी छंद
Neelam Sharma
*एक (बाल कविता)*
*एक (बाल कविता)*
Ravi Prakash
खोटे सिक्कों के जोर से
खोटे सिक्कों के जोर से
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
दुनिया बदल सकते थे जो
दुनिया बदल सकते थे जो
Shekhar Chandra Mitra
*Max Towers in Sector 16B, Noida: A Premier Business Hub 9899920149*
*Max Towers in Sector 16B, Noida: A Premier Business Hub 9899920149*
Juhi Sulemani
नौकरी
नौकरी
Aman Sinha
■ कौटिश नमन् : गुरु चरण में...!
■ कौटिश नमन् : गुरु चरण में...!
*Author प्रणय प्रभात*
मुझे न कुछ कहना है
मुझे न कुछ कहना है
प्रेमदास वसु सुरेखा
पल
पल
Sangeeta Beniwal
रूप कुदरत का
रूप कुदरत का
surenderpal vaidya
डरना नही आगे बढ़ना_
डरना नही आगे बढ़ना_
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
अगणित शौर्य गाथाएं हैं
अगणित शौर्य गाथाएं हैं
Bodhisatva kastooriya
रामलला
रामलला
Saraswati Bajpai
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार हैं।
जिंदगी के रंगमंच में हम सभी किरदार हैं।
Neeraj Agarwal
अपनेपन की रोशनी
अपनेपन की रोशनी
पूर्वार्थ
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
माथे पर दुपट्टा लबों पे मुस्कान रखती है
Keshav kishor Kumar
Loading...