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26 Jan 2021 · 1 min read

यह कैसी गणतंत्रता

यह कैसी गणतंत्रता,
जहाँ आज भी नहीं है,
मजदूरों और किसानों,
के हाथों में स्वतंत्रता ।।

गणतंत्र बस नाम की,
नहीं किसी के काम की ।
बाबू साहब,चोर उचक्के,
खाते सब हराम की ।।

कौन कहता है मिली आजादी,
आधी आबादी बर्बाद करादी ।
यहाँ नाम का गणतंत्र है,
कोई नहीं स्वतंत्र है ।।

पहले गैरों से डर था,
अब अपनों से, लगता डर ।
जीना है तो गुलामी कर,
नहीं तो घुट-घुट के मर ।।

कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 26/01/2021
समय – 05 : 00 ( सुबह )
संपर्क – 9065388391

Language: Hindi
1 Like · 221 Views
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