यह कैसा प्यार है
यह कैसा मौसम आया है
यह कैसी चली बयार है
अपने ,अपनो को रौंद रहे है
यह कैसा अपनत्व का श्रृंगार है
पुछँ रही है अनामिका अपनो से
यह कैसा अपनो का प्यार है।
~अनामिका
यह कैसा मौसम आया है
यह कैसी चली बयार है
अपने ,अपनो को रौंद रहे है
यह कैसा अपनत्व का श्रृंगार है
पुछँ रही है अनामिका अपनो से
यह कैसा अपनो का प्यार है।
~अनामिका