यह कलयुग की सरकार है
मेरी कलम से…
आनन्द कुमार
मौका था, दस्तूर था,
एफडीआई का विरोध था,
गानों के बोल थे,
घूमें गोल-गोल थे,
देश प्रेम की बात थी,
क्या बिछाई खूब बिसात थी।
संसद था सड़क था,
नेताओं का जमघट था,
मनमोहन की सरकार थी,
भाजपा की सैलाब थी,
ताली थी चुटकी थी,
क्या खूब,
सुषमा जी मटकी थी।
कल जिसका विरोध था,
आज उसी का जयकार है,
सौ प्रतिशत एफडीआई है लागू,
नाची भाजपा लाचार है।
सच कहूं तो मेरे भईया,
यह कलयुग की सरकार है।