यह आसमान तो मेरा है
मेरे घर की
छत से
दिखता
यह आसमान तो मेरा है
यह कभी नहीं बदलता है
बादलों के टुकड़ों का क्या
वह तो कभी भी कहीं से उड़कर
आते रहते हैं
फिर न जाने
पंछियों की तरह ही
उड़कर कहीं जाते रहते हैं
मेरा रिश्ता तो
आसमान से है
इसके बादलों से नहीं
यह स्थाई है
जब तक मैं हूं
तब तक तो है
लेकिन यह
आसमान सच में
महान है
इसपर मंडराते बादल
स्थाई नहीं
अस्थाई है
यह न जाने इनसे
कैसे एक स्थाई रिश्ता
बनाये रखता है
यह सब मेरे बस का नहीं
मैं आसमान जितनी
ऊंची और महान नहीं
जमीन पर रहती हूं तो
जमीन पर ही विचरते
दूसरे तुच्छ प्राणियों जैसी ही हूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001