यह आईना
यह आईना
शीशा न होता
एक पत्थर होता तो
अच्छा होता
यह मेरा चेहरा
मुझे न दिखाता
मेरे जैसा कोई और
नहीं इस घर में
मौजूद
यह दिखा दिखाकर मुझे न
चिढ़ाता
इस झूठ की दुनिया में
यह क्यों इतना सच
दिखाता है
जो दिखाता है
वह फिर मेरे दिल में
तेज धड़कनों सा
बोलता है
कोफ्त सी होती है
अब मुझे
इस आईने से
यह मुझे मुझ जैसे
किसी और से नहीं मिलवाता है
सबके भेद खोल देता है
सच दिखाता है
दूर दूर तक झूठ नहीं
फरेब नहीं
किसी के करीब आने की कोशिश
जैसे ही मैं करती हूं
यह उससे मेरा हाथ छुड़वाकर
मुझे मजबूर कर
मुझे उससे दूर कर
पीछे धकेल देता है।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001