यही है हकीक़त
कहीं झूठ है बेबसी
और कहीं लाचारी है
भष्टाचारी की थाली में
उन्नति बनी बीमारी है
लेन देन की बात चली है
दुखिया का सर्वस्व छली है
नौकरी के बदले में अस्मत
गहरी चोट ……..करारी है
नोट के बदले वोट बिके है
नेता हर चौखट दिखे है
बहुमत की ….तैयारी है
खूब मनाओ आजादी को
रंग चढ़ाओ बर्बादी को
बलि इसे भी प्यारी है
हर तरफ लाचारी है
हर तरफ दुश्वारी है
अनन्या “श्री”