यही सोचकर
यही सोचकर शाप भी, रख लेना सर माथ
हानि लाभ जीवन मरन, यश अपयश बिधि हाथ
यश अपयश बिधि हाथ, कर्म ही हाथ तुम्हारे
मात्र यही पतवार, पार भव सिंधु उतारे
कह संजय धर्मार्थ, सकल निष्काम कर्म कर
नश्वर सभी पदार्थ, जगत में यही सोचकर
संजय नारायण
यही सोचकर शाप भी, रख लेना सर माथ
हानि लाभ जीवन मरन, यश अपयश बिधि हाथ
यश अपयश बिधि हाथ, कर्म ही हाथ तुम्हारे
मात्र यही पतवार, पार भव सिंधु उतारे
कह संजय धर्मार्थ, सकल निष्काम कर्म कर
नश्वर सभी पदार्थ, जगत में यही सोचकर
संजय नारायण