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10 Jun 2020 · 1 min read

यही सोचकर

यही सोचकर शाप भी, रख लेना सर माथ
हानि लाभ जीवन मरन, यश अपयश बिधि हाथ
यश अपयश बिधि हाथ, कर्म ही हाथ तुम्हारे
मात्र यही पतवार, पार भव सिंधु उतारे
कह संजय धर्मार्थ, सकल निष्काम कर्म कर
नश्वर सभी पदार्थ, जगत में यही सोचकर

संजय नारायण

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