Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Feb 2022 · 1 min read

यही काफ़ी है।

मशहूर होने का शौक किसे है साहब।
हमको अपने ही पहचान ले यही काफी है।।1।।

हाथों से पिलाने वाले को क्या नाम दें।
नज़रों से जो अपनी पिलाये वही साकी है।।2।।

यूँ हर पीने वाला ख़राब होता नही है।
जो पी कर बहक गया बस वही शराबी है।।3।।

परेशांन हुए है हमें खत्म ना समझो।
अभी तो कहानी हमारी बहुत ही बाकी है।।4।।

किसी की उम्मीद बनो तो निभाओ।
यूँ वादा करके भूल जाना होती खराबी है।।5।।

गलत फहमी में ना जीना दुनियाँ में।
यहाँ हर किसीपे ही खुदा की पहरेदारी है।।6।।

ताज मोहम्मद
लखनऊ

2 Likes · 2 Comments · 265 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Taj Mohammad
View all

You may also like these posts

अक्सर....
अक्सर....
हिमांशु Kulshrestha
रमेशराज के कुण्डलिया छंद
रमेशराज के कुण्डलिया छंद
कवि रमेशराज
.पुराना कुछ भूलने के लिए
.पुराना कुछ भूलने के लिए
पूर्वार्थ
We want justice ♎⚖️
We want justice ♎⚖️
Prachi Verma
2880.*पूर्णिका*
2880.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सड़कों पर दौड़ रही है मोटर साइकिलें, अनगिनत कार।
सड़कों पर दौड़ रही है मोटर साइकिलें, अनगिनत कार।
Tushar Jagawat
"सुपारी"
Dr. Kishan tandon kranti
मुहब्बत इम्तिहाँ लेती है...
मुहब्बत इम्तिहाँ लेती है...
Sunil Suman
किसी के इश्क में ये जिंदगी बेकार जाएगी।
किसी के इश्क में ये जिंदगी बेकार जाएगी।
सत्य कुमार प्रेमी
लगे रहो भक्ति में बाबा श्याम बुलाएंगे【Bhajan】
लगे रहो भक्ति में बाबा श्याम बुलाएंगे【Bhajan】
Khaimsingh Saini
अगर ढूँढू ख़ुशी तो दर्द का सामान मिलता है
अगर ढूँढू ख़ुशी तो दर्द का सामान मिलता है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
कहा किसी ने
कहा किसी ने
Surinder blackpen
ख़ुद से अपना हाथ छुड़ा कर - संदीप ठाकुर
ख़ुद से अपना हाथ छुड़ा कर - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
न रोने की कोई वजह थी,
न रोने की कोई वजह थी,
Ranjeet kumar patre
भौतिक युग की सम्पदा,
भौतिक युग की सम्पदा,
sushil sarna
कहां  गए  वे   खद्दर  धारी  आंसू   सदा   बहाने  वाले।
कहां गए वे खद्दर धारी आंसू सदा बहाने वाले।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
छलावा
छलावा
आशा शैली
'ना कहने का मौसम आ रहा है'
'ना कहने का मौसम आ रहा है'
सुरेखा कादियान 'सृजना'
माँ
माँ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
” ये आसमां बुलाती है “
” ये आसमां बुलाती है “
ज्योति
ॐ
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
*चाल*
*चाल*
Harminder Kaur
संघर्षशीलता की दरकार है।
संघर्षशीलता की दरकार है।
Manisha Manjari
सूरज की संवेदना
सूरज की संवेदना
Dr B.R.Gupta
ज़रूरत मतलब लालच और रिश्ते
ज़रूरत मतलब लालच और रिश्ते
Nitin Kulkarni
सुधार का सवाल है
सुधार का सवाल है
Ashwani Kumar Jaiswal
हाथ कंगन को आरसी क्या
हाथ कंगन को आरसी क्या
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
''गाय हमारी माता है।
''गाय हमारी माता है।"
*प्रणय*
नई सोच नया विचार
नई सोच नया विचार
कृष्णकांत गुर्जर
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
Loading...