यहां ज्यादा की जरूरत नहीं
यहां ज्यादा की जरूरत नहीं
थोड़े में गुजारा होता है।
जहां ज्यादा मिले
वहां सब बिखरा हुआ होता है।
कौन बटोरेगा वो
बिखरा हुआ है जो।
यहां खुद ही का ना समभले
न जाने दूसरों का क्या हो।
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तुम आज की सोचो
न जाने कल क्या हो।
हम जीते रहे कल में
आज चाहे जाओ।
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swami ganganiya
08/10/2011