यहाँ पर मौत सस्ती मिल रही है
यहाँ पर मौत सस्ती मिल रही है
मगर ये जिन्दगी मह॔गी हुई है
बुल॔दी पर ज़रा सा तू जो पहुँचा
तुझे दुनिया ही छोटी लग रही है
मुझे इतना सताया जिन्दगी ने
कि मेरी मौत धोखा खा गई है
जिसे में भूल बैठा हूँ कभी का
तो फिर क्यों याद उसकी आ रही है
हर इक चेहरा फरैबी लग रहा है
वफा दुनिया से जैसे मिट गई है
मिरे घर में अंधेरा है तो क्या गम
मिरे दिल में तो आतिफ रोशनी है
इरशाद आतिफ (अहमदाबाद