*यहॉं संसार के सब दृश्य, पल-प्रतिपल बदलते हैं ( हिंदी गजल/गी
यहॉं संसार के सब दृश्य, पल-प्रतिपल बदलते हैं ( हिंदी गजल/गीतिका)
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(1)
यहॉं संसार के सब दृश्य, पल-प्रतिपल बदलते हैं
कभी हैं दौर दुख के तो, कभी खुशियों के चलते हैं
(2)
यहाँ पर चाहतें सबकी, सभी पूरी नहीं होतीं
हजारों आँख के सपने, चिता के साथ जलते हैं
(3)
समय इंसान को बूढ़ा, बना तो देता है लेकिन
जवानी की तरह दिल में, कई अरमान पलते हैं
(4)
बुरे कामों को करने में, मिनट की देर लगती है
मगर जो काम अच्छे हैं, वो सालों-साल टलते हैं
(5)
बुरे लोगों की कर्कशता, दुखी फिर भी नहीं करती
भले लोगों की चुप्पी से, भरे व्यवहार खलते हैं
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर ( उ. प्र.)
मोबाइल 9997615451