यमुना तट का दृश्य
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यह उस समय का दृश्य जब कान्हा ,दाऊ व ग्वालबाल संग संध्या को गऊएं चराने के बाद यमुना तट पर पहुंचते हैं🙏💐🙏
रोला छंद आधारित
तज दी जग की लाज, गोपियां मंगल गावें।
पाकर कान्हा साथ, हृदय में अति हर्षावें।।
छोड़ा घर का काज, दौड़ यमुना तट आयीं।
वेणु की सुन तान,अतुल मन में मुस्कायीं।।
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धन्य-धन्य हैं भाग्य, हमारे कहतीं खुद से।
पुण्य कर्म का भाग,मिले दर्शन बृज रज के।।
उर में भरी उमंग,बहुत खुद पर इठलातीं।
इक पाने को स्पर्श,गीत मधुरिम वो गातीं।।
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उठी द्वेष की लहर, वेणु को देतीं गारी।
धन्य-धन्य यह बीन,गई किस्मत है मारी।।
होंठों का रस पान,करे यह सौत निगोरी।
मुंह से रस टपकाय, रहीं ग्वालन की छोरी।।
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मिलकर सारी आज, करें कान्हा से शिकवा।
कौन कमी है प्रीत,बता दो हमरे मितवा।।
अधरों का मकरंद,मिले हमको जो पावन।
पतझर में आ जाय,सहज मन भावन सावन।।
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अच्छा बाबा ठीक, दूर हमसे मत होना।
हिय में रखना वास, प्रेम हमको नहिं खोना।।
दिन में बस इक बार,दरश आकर दे जाना।
मांगें तुमसे आज,यही बस एक खजाना।।
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अटल मुरादाबादी