यमराज साहित्यिक मंच
हास्य
यमराज साहित्यिक मंच
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कल दोपहर की बात है
मैं घर पर आराम से भोजन कर रहा था,
तभी दरवाजे पर दस्तक हुई
श्रीमती जी दरवाजा खोलने गईं
दरवाजे पर कोई नहीं था
वह दरवाजा बंद कर वापस आकर बड़बड़ाने
कोई नहीं था फिर दरवाजा किसने खटखटाया।
प्रश्न वाजिब था,समझ में भी आया।
फिर दरवाजे पर दस्तक हुई
साथ ही मेरा नाम लेकर किसी ने पुकारा,
मैंने भी बैठ जाइए कहकर जवाब दिया।
श्रीमती जी बड़बड़ाने लगीं
किसको बैठने को कहा रहे हो
बाहर तो कोई था नहीं।
मैंने कहा मोहतरमा जिसने मुझे पुकारा,
मैंने उसे ही बैठने को कहा है
इसमें क्या गुनाह किया?
श्रीमती जी फिर दरवाजा खोल कर देखकर
बड़बड़ाते हुए लौटीं।
तब तक मैं खाना खत्म कर चुका था
हाथ पोंछ कर बाहर निकला।
बाहर यमराज बड़े आराम से बैठे थे
मुझे देख उठकर खड़े हो गए
सम्मान से प्रणाम कर कहने लगे।
प्रभु! बड़ी उम्मीद में आपके पास आया हूं
मैंने कहा पहले पूरी बात तो बताइए।
मैंने पास पड़ी कुर्सी पर बैठते हुए
यमराज को बैठने का इशारा किया।
यमराज ने स्थान ग्रहण कर
अपनी बात का यूं बखान किया।
प्रभु आजकल यमलोक में भी कवियों की बाढ़ आ गई
साहित्यिक मंच बनाने की मांग होने लगी है
मुझे कुछ पल्ले नहीं पड़ रहा है
इसीलिए आपके द्वार मदद के लिए आया हूँ।
सुना है आपको इसका बड़ा अनुभव है।
बस! इतनी सी बात पर इतना परेशान हो
तुम्हारी समस्या तत्काल मिटा देता हूं
तुम्हारे नाम से यमराज साहित्यिक मंच बना देता हूं
तुम्हें संस्थापक बना खुद अध्यक्ष बन जाता हूं
चएडमिन भी तुम्हें बना देता हूं
दो चार अन्य पदाधिकारी भी मनोनीत कर दूंगा।
फिर धूमधाम से उद्घाटन करवा दूंगा
यमलोक में भी साहित्यिक पटल का
तुम्हारे नाम से श्रीगणेश करा दूंगा
तुम्हारे नाम के आगे कवि साहित्यकार यमराज
मुफ्त में ही लगवा दूंगा
तुम्हारी समस्या अभी तत्काल हल कर दूंगा।
अब चैन की सांस लेकर वापस जाओ
आनलाइन साहित्यिक आयोजन की रुपरेखा बनाओ
कोई दुविधा हो तो बेहिचक मेरे पास आओ
अच्छा है फोन कर अपनी समस्या का तुरंत हल पाओ।
यमलोक में पहले साहित्यिक मंच के
संस्थापक बन नाम कमाओ
यमलोक के इतिहास में स्थान पाओ।
सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा उत्तर प्रदेश
© मौलिक स्वरचित