यमराज मेरा यार
पिछले कुछ दिनों से मुझे
यमराज की बहुत याद आ रही है,
क्या करुँ बहुत दिनों से
उसकी बक बक सुनने को जो नहीं मिली है,
आप तो मानोगे नहीं पर
मेरे कानों में सीटी सी बज रही है।
अब आपके याद करने और
मेरे याद रखने में बहुत अंतर है,
जिसे भूल से भी आप याद करना नहीं चाहते
वह मेरी याद से कभी दूर नहीं होता है।
क्योंकि आप भ्रम का शिकार हैं
किसी का साया भी आपको
उसके होने यमराज होने का बोध कराता है,
जबकि वही साया मेरा यार बन
सदैव ही मुझे मेरा यार यमराज लगता है।
वो ही मेरे सबसे करीब होता है
मेरा सबसे बड़ा शुभचिंतक भी है
आज का मेरा सुरक्षा कवच भी है,
जो हर सुख दुख में मेरे साथ होता है।
अपने दिल की हर बात मुझसे साझा करता है
किसी दुविधा में मेरी सलाह पर अमल करता है,
मेरी रचनाओं का पहला श्रोता और
सबसे बड़ा समीक्षक भी वही है।
यह अलग बात है उसकी भाषा
आपको समझ नहीं आयेगी,
क्योंकि वो मुझसे ही अनौपचारिक होता है
और सिर्फ मुझसे ही संवाद करता है।
तभी तो उसे मैं याद करता हूं।
चलिए! अब आप अपना काम कीजिए
मैं यमराज को याद कर ही रहा था
अब वो आ ही रहा है
उसके आने का संकेत मुझे मिल रहा है
आगे का संवाद उसी से करता हूँ
कुछ भी हो मेरे घर आने वाला यमराज ही सही
पर वो मेरा यार भी और मेहमान भी है ,
जब तक वो आता है तब तक
मैं उसके जलपान का इंतजाम करता हूँ,
आपसे मुलाकात के लिए
आगे फिर कभी आपको याद करता हूं,
और दिल से नमस्कार करता हूँ
आप याद करो न करो आपकी मर्जी है
फिलहाल तो ये वार्तालाप अब मैं यहीं बंद करता हूँ
और यमराज के आने की राह देखता हूँ।
सुधीर श्रीवास्तव गोण्डा उत्तर प्रदेश