Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2022 · 2 min read

यमराज कांप उठा

हास्य
यमराज काँप उठा
****************
कल रात मेरे पास यमराज पधारे
मैंने आने का कारण पूछा
तो अपनी बड़ी शान बघारे।
कहा! श्रीमान आपको मेरे साथ चलना है
आपका समय पूरा हो गया है।
यह सुनकर मैं उठ बैठा
और तनकर पूछ बैठा
सिर्फ मैं या मेरी धर्म पत्नी भी
मेरे साथ साथ चलेगी।
मेरी बात सुनकर यमराज भड़क गया
ये कैसा बेतुका सवाल है?
मेरे पास सिर्फ आपका वारंट है
सिर्फ आपको ही चलना है।
यह सुन मुझे गुस्सा आ गया
कुछ शर्म लिहाज है या बेशर्म हो
सात फेरे लिए हैं उसके साथ
साथ मरने जीने की कसमें
अग्नि के सामने खाई है हमनें
अरे! इतना तो समझ तुम्हें भी होनी चाहिए ।
वैसे भी अब इस बुढ़ापे में
उसे बेसहारा कैसे छोड़ दूँ?
यह गुनाह मैं कर सकता नहीं,
फटाफट उल्टे पाँव वापस चले जाओ
उसका भी वारंट हाथों हाथ लेकर आओ
तब तक हम दोनों तैयारी करते हैं
बी.पी., शुगर की दवाई सहेजते हैं।
यमराज मेरी बात सुनकर
अपना सिर खुजाने लगा,
बड़े असमंजस में घिर गया
जैसे बड़े उलझन में फँस गया।
तब तक बीबी जाग गई
मुझ पर एकदम से भड़क गई
नासपीटे सोते में क्या बक रहा था
मेरे मरने की बात किससे कर रहा था,
मरना है तो जा तू मर न
मैंने तेरा क्या बिगाड़ा है?
जो इतना मेरे पीछे पड़ा है
मेरे मरने का षड्यंत्र रच रहा है।
इतना सुन यमराज कांप उठा
सिर पर पांव रख भाग खड़ा हुआ,
मैं आवाज देता रह गया।
तभी श्रीमती जी ने मुझे झिंझोड़ा
उठ भी अब जाओ श्रीमान
याद है कि भूल गए
फिर से बताना पड़ेगा
तुम्हें ससुराल और मुझे मायके जाना है।

सुधीर श्रीवास्तव
गोण्डा, उ.प्र.
8115285921

Language: Hindi
2 Likes · 163 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आज
आज
*प्रणय*
कुछ ही देर लगती है, उम्र भर की यादें भुलाने में,
कुछ ही देर लगती है, उम्र भर की यादें भुलाने में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
इश्क़ की बात ना कर
इश्क़ की बात ना कर
Atul "Krishn"
समंदर इंतजार में है,
समंदर इंतजार में है,
Manisha Wandhare
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
खिड़की के बाहर दिखती पहाड़ी
Awadhesh Singh
विश्व कविता दिवस
विश्व कविता दिवस
विजय कुमार अग्रवाल
सुख दुख
सुख दुख
Sûrëkhâ
4142.💐 *पूर्णिका* 💐
4142.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
"रिश्ते की बुनियाद"
Dr. Kishan tandon kranti
मौज  कर हर रोज कर
मौज कर हर रोज कर
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
আমি তোমাকে ভালোবাসি
আমি তোমাকে ভালোবাসি
Otteri Selvakumar
अधरों ने की  दिल्लगी, अधरों  से  कल  रात ।
अधरों ने की दिल्लगी, अधरों से कल रात ।
sushil sarna
हम न रोएंगे अब किसी के लिए।
हम न रोएंगे अब किसी के लिए।
सत्य कुमार प्रेमी
రామయ్య మా రామయ్య
రామయ్య మా రామయ్య
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
रमेशराज के कुण्डलिया छंद
रमेशराज के कुण्डलिया छंद
कवि रमेशराज
अगर, आप सही है
अगर, आप सही है
Bhupendra Rawat
ना जाने क्यों ?
ना जाने क्यों ?
Ramswaroop Dinkar
बात निकलेगी
बात निकलेगी
Dr fauzia Naseem shad
मेरे जज़्बात कुछ अलग हैं,
मेरे जज़्बात कुछ अलग हैं,
Sunil Maheshwari
*इन तीन पर कायम रहो*
*इन तीन पर कायम रहो*
Dushyant Kumar
थोड़ा पैसा कमाने के लिए दूर क्या निकले पास वाले दूर हो गये l
थोड़ा पैसा कमाने के लिए दूर क्या निकले पास वाले दूर हो गये l
Ranjeet kumar patre
इतनी भी तकलीफ ना दो हमें ....
इतनी भी तकलीफ ना दो हमें ....
Umender kumar
मैंने यह जान लिया कि....
मैंने यह जान लिया कि....
Ajit Kumar "Karn"
तुम जा चुकी
तुम जा चुकी
Kunal Kanth
फर्जी
फर्जी
Sanjay ' शून्य'
दिल पहले शीशा था,अब पत्थर बना लिया।
दिल पहले शीशा था,अब पत्थर बना लिया।
Priya princess panwar
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
*धरती पर सब हों सुखी, सारे जन धनवान (कुंडलिया)*
*धरती पर सब हों सुखी, सारे जन धनवान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
चांद सितारे चाहत हैं तुम्हारी......
चांद सितारे चाहत हैं तुम्हारी......
Neeraj Agarwal
दिल कि गली
दिल कि गली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
Loading...